आदमी होकर जीने की तकलीफ Umesh DobhalSep 25, 20221 min readतकलीफ सच ! तकलीफ यही है आदमी होकर जीने की तकलीफ पूंजी के गर्भ से जन्मी अव्यवस्थित होड़ में शरीक होने की मजबूरी मजबूरी समृद्ध होकर आदमी बने रहने की। – उमेश डोभाल
घर लौटने का समयपहाड़ियों की चोटियों पर तना वर्षा के बाद का खुला-खुला सा आसमान कहीं तैरते उड़े-उड़े से बादल और पहाड़ी पगडंडी का अकेला सफर लम्बी गर्मियों...
सावधान !जब वे आते हैं और कहते हैं हम खुशियां लायेंगे तुम्हारी थकी हुई और उदास जिन्दगियों में वे झूठ बोलते होते हैं उनकी भाषा की नरमी में एक...
कल रात नींद नहीं आयीकल रात भर नींद नहीं आई कल रात भर करवटें बदलता रहा कल रात कुछ अजीब थी कल रात भर प्यास सताती रही आसपास कोई नहीं था इतनी सी बात थी और कल...
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