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अमृत बरसा

  • Writer: Umesh Dobhal
    Umesh Dobhal
  • Sep 25, 2022
  • 1 min read

पहाड़ियों को चूमकर

सूरज आंगन तक क्या आया

खेतों में पानी से भरी थालियां

चांदी सी चमकने लगी


बर्फ से ढकी चोटियां शरमाई

और दुल्हन के मुख सी लाल हो गई

खुले-खुले आसमान में

चिड़ियायें चहक उठी

और पुलकित हो उठा सारा गांव


कि रात भर

खेतों में अमृत बरसा

कि आज रात भर

धरती पर सोना बरसा।


– उमेश डोभाल

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