top of page
This website has been started to share Poems and Articles Related to
Umesh Dobhal

Search
घर लौटने का समय
पहाड़ियों की चोटियों पर तना वर्षा के बाद का खुला-खुला सा आसमान कहीं तैरते उड़े-उड़े से बादल और पहाड़ी पगडंडी का अकेला सफर लम्बी गर्मियों...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
सावधान !
जब वे आते हैं और कहते हैं हम खुशियां लायेंगे तुम्हारी थकी हुई और उदास जिन्दगियों में वे झूठ बोलते होते हैं उनकी भाषा की नरमी में एक...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
कल रात नींद नहीं आयी
कल रात भर नींद नहीं आई कल रात भर करवटें बदलता रहा कल रात कुछ अजीब थी कल रात भर प्यास सताती रही आसपास कोई नहीं था इतनी सी बात थी और कल...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
गुण्डा
सड़क पर ऐंठ कर आगे बढ़ता है गुण्डा साथियों के बीच बादशाह है गैरों के बीच डरा हुआ सतर्क आदमी गुण्डा उन सामाजिक मूल्यों की उपज है नकारा...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
बर्फ और सपना
ठिठरती रात की उनींदी सी आंखों में एक खूबसूरत सा सपना आया सुबह पहाड़ियों सीढ़ीनुमा खेतों गांव और आंगन में बर्फ ही बर्फ फैल गई बच्चों को...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
जवान बेटी
कहां-कहां जांऊ और किस-किस से कहूं बेटी जवान हो गई है उसके लिए वर चाहिए एक अच्छा सा वर उसका बचपन मेरी गोदी में बीता है किलकारियों से गूंजा...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
सन्नाटे में किसको ढूंढें
नीम की छांव और कौओं की कांव-कांव उदास है दुपहरी उचाट है मन हांफती चिरैया मौन खड़े पेड़ उड़ती हुई धूल में किसे पुकारें नहीं बरसा आसमां सूख...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
मेरा गांव
रिमझिम बरसात में प्यास-प्यास पुकार रहा है मेरा गांव अहा ! ग्राम्य जीवन से कोसों दूर है मेरा गांव या परती-परीकथा का कोई अदना सा मुरीद है...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
आसमान
अनचाहे सम्बन्धों की अखर गई यह बरखा बिन बुलाये क्यों कर आई यह मूसलाधार वर्षा सिमट गई फाल्गुन की मदमाती गांव की धरती पूस गांव की कंपकंपी को...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
कैसे रहना है शहर में
शहर ध्यान लगाकर बैठ गया है गांव आयेगा शहर में सूरज चढ़ने के साथ ही गांव आने लगा है शहर में एक गांव पगला गया है चिल्ला रहा है कोर्ट-कछड़ी...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
सोचो मेरा क्या होगा
दिन जमाने को दे दिया रात तो मेरी रहने दो अश्क थमे हैं आंखों में रात को इनको बहने दो तुमने जो मांगा हमने दिया है बस अंधेरा रहने दो जब सब...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
हर जगह मौजूद है मां
असमय बूढ़ी हो गई है मां की उम्र के बांज की शाखाओं से खुरदरे हाथ कितने स्नेहिल हैं बेटी-बेटों व नाती-पोतों के लिए उनके लिए कितना जवान है...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
महत्वाकांक्षा
चिड़िया आसमान की बुलन्दियों को छूना चाहती है डैनो के मजबूत होते ही चिड़िया घोंसला छोड़ देती है चाहता हूं- चिड़िया की तरह पहाड़ियों के पार...

Umesh Dobhal
Sep 27, 20221 min read
लड़ रहा हूं
अंधेरे से लड़ रहा हूं मैं अपने आप से लड़ रहा हूं चांद तारे छुप गये हैं बादलों में मैं अंधेरे को चीरता पग-पग बढ़ता जा रहा हूं बरस रहा...

Umesh Dobhal
Sep 26, 20221 min read
उदास बसन्त
रात बीत जायेगी फिर सवेरा होगा कल मनायेंगे बसन्त सूरज को आना ही है रोशनी में बतियायेंगे पत्तों से पेड़ों में फूल पगडंडी पर खुशबू लदी है...

Umesh Dobhal
Sep 26, 20221 min read
याद
पेड़ों ने पहन ली हैं सफेद टोपियां बर्फ क्या गिरी हिमालय और पास आ गया और तुम्हारी याद भी जिसका बचपन बर्फ के गोले दागने में बीता है वह मैं...

Umesh Dobhal
Sep 26, 20221 min read
सूरज मेरा आराध्य है
सरल बातें जो रोज घटती हैं अक्सर सरल नहीं होती सूरज रोशनी देता है दिन भर एक चमकदार रोशनी अंधेरे से जूझते इंसानों का पथ प्रदर्शक है सूरज...

Umesh Dobhal
Sep 26, 20221 min read
चेहरे उदास क्यों हैं
फिर हवाओं ने छेड़ दिये हैं गीत आंगन गमक गया है अन्न की सुगन्ध से आसमान में कुलांचे भरने लगे हैं परिन्दे गांव उतर गये हैं खेतों में गुलाबी...

Umesh Dobhal
Sep 26, 20221 min read
ये बच्चे मेरे गांव के
बच्चे बड़े होना चाहते हैं आस-पास देखते हुए वे झटपट बड़ा हो जाना चाहते हैं खेतों में मिट्टी से खेलते बच्चे हल की मूठ पकड़ना चाहते हैं...

Umesh Dobhal
Sep 26, 20221 min read
पहाड़ी औरत
उसका बचपन मां के संग खेतों में बीता अपनी उम्र और शरीर से ज्यादा काम करते हुए उसके खेल डंगर, दरान्ती, मिट्टी और घास के गट्ठर थे इन्हीं के...

Umesh Dobhal
Sep 26, 20222 min read
bottom of page