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ये बच्चे मेरे गांव के

  • Writer: Umesh Dobhal
    Umesh Dobhal
  • Sep 26, 2022
  • 1 min read

बच्चे बड़े होना चाहते हैं

आस-पास देखते हुए

वे झटपट बड़ा हो जाना चाहते हैं

खेतों में मिट्टी से खेलते बच्चे

हल की मूठ पकड़ना चाहते हैं


बच्चे मुखौटा नहीं ओढ़ते

आदमी और बच्चे में यह फर्क अभी बना है

थकने पर हल की मूठ छोड़ देते हैं बच्चे

सड़क पर दौड़ती गाड़ी को

वे अचरज भरी निगाह से देखते हैं

और गाड़ी बन जाते हैं

बच्चों का बेशकीमती सपना गाड़ी चलाना है

वे चिड़िया और बन्दर को पकड़ना चाहते हैं

बड़ों की दाढ़ी और मूंछ को

बड़े चाव से सहलाते हैं बच्चे

और उन्ही जैसे बनने के सपने देखते हैं


बड़े होने का भ्रम

बच्चों को चांद पर उतार देता है

बच्चे सोचते हैं

बड़ा होने पर

बड़ा होने के लिए

वे भी शराब पियेंगे

अपनी से बड़ी उम्र के आदमियों की तरह


बच्चे बड़े होकर शराबी हो रहे हैं

और पुलिस की निगाह में पड़ गये हैं

ये बच्चे मेरे गांव के

मैं इन्हीं बच्चों में हूं

– उमेश डोभाल

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