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कैसे रहना है शहर में

  • Writer: Umesh Dobhal
    Umesh Dobhal
  • Sep 27, 2022
  • 1 min read

शहर ध्यान लगाकर बैठ गया है

गांव आयेगा शहर में

सूरज चढ़ने के साथ ही

गांव आने लगा है शहर में

एक गांव पगला गया है

चिल्ला रहा है कोर्ट-कछड़ी है शहर में

मर्द होकर क्यों घिघियाता है

पूत बन गया होगा कमाऊ किसी शहर में

गांव भारी कदमों से लौट रहा है

एक सौ में एक थैला नहीं भरा शहर में

नशे में लड़खड़ाकर लौट रहा है जो

सुबह हाकिम के लिए दूध लेकर

गया था शहर में

पगडंडी से बतिया रहा है

मत पूछो क्या नहीं देखा शहर में

कहीं कोई नहीं सिखाता है

कैसे रहना है शहर में

– उमेश डोभाल

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