top of page

लड़ रहा हूं

  • Writer: Umesh Dobhal
    Umesh Dobhal
  • Sep 26, 2022
  • 1 min read

अंधेरे से लड़ रहा हूं

मैं अपने आप से लड़ रहा हूं


चांद तारे छुप गये हैं बादलों में

मैं अंधेरे को चीरता पग-पग बढ़ता जा रहा हूं


बरस रहा मूसलाधार पानी

चमकती बिजलियों में पथ ढूंढता जा रहा हूं


नशे का उन्माद मुझ पर

अनदेखे रास्ते पर दृढता से बढ़ रहा हूं


असफलताएं रास्ते में हैं खड़ी

उन्हें ढकेलता, लक्ष्य को टटोलता जा रहा हूं।

– उमेश डोभाल

Recent Posts

See All
घर लौटने का समय

पहाड़ियों की चोटियों पर तना वर्षा के बाद का खुला-खुला सा आसमान कहीं तैरते उड़े-उड़े से बादल और पहाड़ी पगडंडी का अकेला सफर लम्बी गर्मियों...

 
 
 
सावधान !

जब वे आते हैं और कहते हैं हम खुशियां लायेंगे तुम्हारी थकी हुई और उदास जिन्दगियों में वे झूठ बोलते होते हैं उनकी भाषा की नरमी में एक...

 
 
 
कल रात नींद नहीं आयी

कल रात भर नींद नहीं आई कल रात भर करवटें बदलता रहा कल रात कुछ अजीब थी कल रात भर प्यास सताती रही आसपास कोई नहीं था इतनी सी बात थी और कल...

 
 
 

Comments


bottom of page