बसन्त आ गया
- Umesh Dobhal
- Sep 25, 2022
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बसन्त आ गया
आंगन में गीत गाने को हुआ मन
पहाड़ों में बसंत आने लगा
खेतों में मिट्टी की फैल गई सौंधी सुगन्ध
मन प्राण में रच बस गई
फ्यूली और सरसों की सुगन्ध
पहाड़ों में बसन्त आ गया
जंगल में बुरांश खिला है
गेहं के खेत में बजने लगी हैं चडियां
आंगन में फैल गये हैं फूल
पहाड़ों में बसंत छाने लगा है
माल' की घुघूती लौट आयी है गांव में
गांव के बच्चे ताकते हैं घोंसले
थिरकते पांवों पर दुखों को भूलकर
तारों भरे आसमां में गूंज उठे गीत
पहाड़ों पर बसन्त छा गया है।
– उमेश डोभाल
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