हथियार उठाने ही होंगे
- Umesh Dobhal
- Sep 25, 2022
- 1 min read
छोये भी नहीं फूटे
मौसम भी खिलाफ कर दिया गया है
गांवो में यक-ब-यक बढ़ गई है उम्र
पेड़ों की तरह गायब होने के लिए
कितने गुमसुम हो गये हैं
खेलों से वंचित कर दिये गये हैं बच्चे
दुश्मन ने नष्ट कर दिये
छोटी-छोटी आंखों के बड़े-बड़े सपने
यह हमला बहुत संगीन है
इसके खिलाफ बोलना ही होगा
हथियार उठाने ही होंगे।
– उमेश डोभाल
Comments